Saturday, October 24, 2015

क्या आप ने selfie ली ?

आज के स्मार्ट फोन के युग में selfie का मतलब तो बचे बचे को पता है| जंहा मन किया जेब से मोबाइल निकाला और selfie ले ली | कभी अकेले तो कभी दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए, कभी घूमते हुए कभी जहाज में उड़ते हुए, कभी नेता के साथ कभी अभिनेता के साथ, कभी नए कपड़ो में कभी पुराणी आदतों के साथ | कुछ लोग तो एक selfie के लिए खतरनाक कारनामे तक कर जाते है, उची उची इमारतो पर चढ़ जाते है, बीच सडक में खड़े हो जाते है, खदानों तक में पहुच जाते है |

इतना सब सिर्फ अपनी खुद कि तस्वीर खुद लेने के लिए |सिर्फ यह दिखने के लिए की आप का भौतिक शरीर कैसा है और किस रंग में क्या क्या कर सकता है | क्या आप ने कभी कोशिश  की के जो आत्मा जो शक्ति इस शरीर को इतना सुंदर बना रही उस से इतना सब कुछ करवा रही कभी उस कि selfie खिंची जाए |

आत्मा की selfie खीचना कोई मुश्किल काम नही है | आत्मा की selfie गुरुपदाश्र्य और नामाश्र्य रुपी कैमरे कि मदद से आसानी से ली जा सकती है |केवल एक पूर्ण सद्गुरु  ही  हमारे  भीतर झाँक कर हमे हमारे अंतर्मन को देखने की, प्रभु से साक्षात्कार करने की अपनी आत्मा अपने कर्मो और सुंदर बनाने की प्रेरणा देता है |यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो selfie का अर्थ है :-

➡ Self  ~~~> निज (को)

 ➡  I ~~~> में  (से)

➡ E ~~~> Exit (निकालना)

अबइस तरीके से अपनी selfie खिंच के देखिये
असली selfie

जय श्री राधे !!!

Thursday, October 8, 2015

बस एक शाम की हरि इच्छा ?


श्री राधे !

अपने आस पास आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजनों के शीर्षक और समय पर एक नजर मारे, शीर्षक कुछ इस प्रकार होंगे
एक शाम राधा माधव के नाम
नव वर्ष की एक प्रातः और एक शाम श्री राम के नाम
दीपावली कि पर्व संध्या बिहारी जी के संग
कुछ पल हरि भजन के

आप आप ये बताये कि उसशाम से पहले वाली या बाद वाली शाम का राधा माधव जी से कोई सम्बन्ध नही?
सिर्फ नव वर्ष कि प्रातः और शाम ही श्री राम के नाम?
ये तो कुछ ऐसा प्रतीत हुआ जैसे हम अपने सर्वेसर्वा प्राणधन पर कोई एहसान कर रहे हो | जिस परमात्मा ने हम को मानव जन्म दिया कि हम हर समय उसके नाम में मग्न रहे, परन्तु हम ऐसे शीर्षक से भजन संध्या का आयोजन कर के एक शहं में ही अपने अगले पिछले सब जन्मो कर्मो का पुण्य प्राप्त करना चाहते है |

बात सिर्फ यही तक नही, अब आयोजन के समय पर गौर कीजिये
से 7 बजे से हरि इच्छा तक
प्रातः 10  बजे से श्री राम इच्छा तक

अब आप सोचिये कि आप का पुत्र आप की टाँगे दबा रहा हो या कोई मित्र आपकी प्रशंसा कर रहा हो तो मन ही मन आप चाहेंगे की आप पूरा दिन लेटे  रहे और चरण दबवाने का सुख लेते रहे या अमुक मित्र से तारीफ सुनते रहे, हालंकि दैन्यता दिखने के लिए बाहर से आप बेटे से कहेंगे कि बस अब आराम करो या मित्र से कहेंगे की में इस काबिल नही परन्तु मन में इच्छ यही होगी कि ये सब चलता रहे तो क्या हमारे ब्र्जेंद्रन्न्दन कभी चाहेंगे की उनके निमित जो आप भजन संध्या, जाप आदि कर रहे वो कभी रुके ? हम ही जब थक जायेंगे या किसी भजन गायक कि बुकिंग का समय समाप्त हो जाएगा या और नही तो सुनने वाले ही आधे पंडाल से गायब हो जायेंगे तो हम कीर्तन को विश्राम करा देंगे ये इच्छा तो हमारी ही हुई फिर और नाम हरि इच्छा! हमे तो ये सब शब्द एक शाम, हरि इच्छा बोलने और सुनने  बोलने और लिखने में ही आनंद मिलता है|

मेरा तो बस इतना सा आग्रह है की ठाकुर जी कि स्तुति को इस तरह के शीर्षक और समय में केवल लोकधर्म या लोक आचरण में मत बांधिए

जय श्री राधे !!

Saturday, October 3, 2015

सॉफ्टवेर अपडेट

श्री राधे!

हमारा खुद का शरीर किसी स्मार्ट फोने से भी अधिक स्मार्ट है | प्राय हम नया स्मार्ट फोन लेते है और सिम डालते ही सबसे पहले इन्टरनेट चला कर लोगो से समपर्क में रहने के लिए तरह तरह के सॉफ्टवेर जैसे whatsapp, जीमेल, इन्स्ताग्राम आदि डालते है और प्राय देखा जाता है कि घूम फिर कर वाही दोस्त हर जगह उपलब्ध होते है |

यंहा तक ठीक है परन्तु जैसे ही whatsapp में कोई नया फीचर जुड़ता है तो हमारी कोशिश होती है कि सबसे पहले हम उसे अपडेट करे | दोस्त के साथ अपडेट रहे | यंहा तक भी ठीक है |हमने स्मार्ट फोन को तो दोस्तों के साथ सम्पर्क में रहने के लिए अपडेट कर लिया  परन्तु स्मार्ट आत्मा शरीर उसका क्या

हम स्मार्ट आत्मा को बस स्मार्ट फोन के लाल और हरे बटन की तरह इस्तेमाल करते है अर्थात दुनिया भर कि फ़ालतू बात सुनने और अपनी जीवन व्यथा सुनाने में |

हम क्यों नही अपने आत्मा , शरीर में हरि नाम धुन कि रिंगटोन डालते या जाप माल, हरि नाम सिमरन, संतो कि वाणी, गुरुपद आश्रय जैसे सॉफ्टवेर अपने आत्मा को नही देते ? क्या हमारी आत्मा का उस चेतन परमात्मा से बात करने का मन नही करता होगा ? क्या सिर्फ भोतिक मित्रो से स्मार्ट फोन पर सॉफ्टवेर अपडेट करके हम जीवन के असली सुख को अपडेट कर लेंगे ? कदापि नही

इन सब प्रश्नों का एकमात्र सरल साधन है हरे कृष्ण महामंत्र का संग करना |

हरेर नाम हरेर नाम हरेर नाम एव केवलम कलौ नास्ति एव नास्ति एव नास्ति एव

कलयुग केवल नाम अधारा
सुमीर सुमीर नर उतरही पारा

अब भी समय है , हरि नाम आश्रय ग्रहण कर अपना सॉफ्टवेर अपडेट करे और जपे

हरे कृष्ण हरे कुष्ण, कृष्ण  कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

जय श्री राधे !!

Monday, August 17, 2015

संयुक्त परिवार से एकाकी जीवन तक का सफर

आज से कोई 20 30 साल पहले का जीवन, जंहा पुरा मोहल्ला एक संयुक्त परिवार की तरह होता था, सभी रात में एक सांझे चूल्हे पर भोजन बनाते, मिल बाँट कर ख्हते थे, फिर कुछ समय बदला , जरूरते बड़ी तो संयुक्त परिवार ने जगह बनाई, दादा-दादी चाचा ~चाची, बुआ आदि एक बड़ा संयुक्त परिवार जंहा कभी ऑफिस को देर हो तो चाची टिफिन बना देती थी, माँ बीमार हो तो बुआ स्कूल छोड़ आती थी, दादी के नुस्खे और कहानिया इलाज और मनोरंजन का मुख्य साधन में से होते थे| सब के साथ घर में ही पिकनिक हो जाती और विवाह शादियों पर तो पूछिये ही मत| यकीन से कह सकता हु के जैसे जैसे आप लेख पढ़ रहे होंगे आप के सामने यादे एक फिल्म की तरह चल रही होंगी, बहुत यद् आता है न वो जमाना , वो बिता हुआ कल|

                  फिर समाज और आधुनिक हुआ तो परिवार केवल माँ, बाप और दादा दादी तक सिमित रह गया| चाचा चची के घर जाना मस्ती करना कभी कभी की बात हो गयी और हम होली दिवाली जैसे अवसरों का इन्तेजार करते या किसी शुभ अवसर का | यंहा तक भी सब ठीक था परन्तु फिर और परिवर्तन आये, माँ बाप बोझ बनने लगे तो उन्हें आश्रम का मेहमान बना दिया| जैसे जैसे परिवार छोटा हुआ , संस्कारों पर भी असर पड़ा | आज के हालात देखिये, माँ एक शहर में नौकरी करती है पिता दुसरे शहर में तो स्न्स्ककर क्या देंगे , स्नेह और आशीर्वाद के लिए ही टाइम नही| सोचिये तो धी हम कहा जा रहे है, क्या खो रहे है क्या पा रहे है |
संयुक्त परिवार आज की असुरक्षित माहौल की जरूरत है, इसे अपनाईये



Sunday, August 9, 2015

Azadi Kya hai

इस 15 अगस्त 2 मिनट रुकिए और सोचिये कहा है आज़ादी ?

~ माँ के गर्भ में पल रही कन्या क्या जन्म लेने के लिए आजाद है ?
~सडक पर चलती महिला बिना किसी की 'गलत' नजरो में आये ख़ुशी ख़ुशी घर पहुचने को आजाद है ?
~नव विवाहिता बिना दहेज़ दिए जिन्दा जला दी जाती है , क्या ये आज़ादी है ?
~कार्यालय में काम करने वाली महिला, साथियो से अपमानित या प्रताढ़ित की जाती है , क्या ये आज़ादी है ?
~हमारे बुजुर्ग माता पिता अपना घर होते हुए भी वृधाश्रम में रहने को मजबूर है, क्या ये आज़ादी है?
~स्कूल जाते बच्चे के बैग का बोझ  उसके बचपन से ज्यादा भारी  है, क्या ये आज़ादी है?

हां याद आया, हमारे लिए तो आज़ादी का मतलब सिर्फ 15 अगस्त को फेसबुक, whatsapp और सोशल मीडिया पर तिरेंगे की DP लगाना, देश भक्ति की रिंगटोन लगाना, तिरेंगे के साथ selfie खीचना  बस यही है|

धन्य है हम जैसे देश भक्त|

जय हिन्द